एक दिन
तुम आये
हमारे बस्तियों में
रात के सघन अँधेरे में
भेडिये की तरह
चुपके से दबे कदमों
करके चले गए
हम निहत्थों का क़त्ल
एक दिन
हम आये
दिन के उजाले में शेर की तरह
तुम्हारे मांद में
करके चले गए तुम्हारा शिकार
देखते रह गए
तुम्हारे रणबांकुरे
हाथों में लिए अत्याधुनिक हथियार
रमेश यादव / ०२/०६/२०१२/ नई दिल्ली.
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