Saturday, 2 June 2012

शिकार



एक दिन 
तुम आये 
हमारे बस्तियों में 
रात के सघन अँधेरे में 
भेडिये की तरह 
चुपके से दबे कदमों 
करके चले गए 
हम निहत्थों का क़त्ल 


एक दिन 
हम आये 
दिन के उजाले में शेर की तरह
तुम्हारे  मांद में  
करके चले गए तुम्हारा शिकार 
देखते रह गए 
तुम्हारे रणबांकुरे 
हाथों में लिए अत्याधुनिक हथियार  

रमेश यादव / ०२/०६/२०१२/ नई दिल्ली. 

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