‘लाश’ हैं तभी तो खास हैं
बेचारे
ज्ञान
का मल्टी नेशनल ब्रांड बने बैठे हैं
समझदार
इतना कि
लाश
बने बैठे हैं
झुके रहते हैं सदा
घुटनों के बल
इसी खूबी से तो
आकाश
में जमे बैठ हैं
………………….अधूरी……….
12/03/2013/11:00
ज्ञान
का मल्टी नेशनल ब्रांड बने बैठे हैं
समझदार
इतना कि
लाश
बने बैठे हैं
झुके रहते हैं सदा
घुटनों के बल
इसी खूबी से तो
आकाश
में जमे बैठ हैं
………………….अधूरी……….
12/03/2013/11:00
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देह को बांधने का परम्परागत षड़यंत्र
गले
में एक हाथ का
मंगल सूत्र लटकाना
मांग
एक किलो सिंदूर से भरना
हाथ
में रंग-बिरंगा रस्सी नुमा धागा बांधना
नाक-कान
छेद कर उसमें बहुरंगी तार लटकाना
कमर
में कमर बंद
पैरों
में पायल
अंगुलियों
में बिछिया
और
अंगूठी पहनना
यह
स्त्री
देह को बांधने का परम्परागत षड़यंत्र है
या
उसका स्वतंत्र चुनाव
…………………………………………अधूरी…………..
12/03/2013/10:00
में एक हाथ का
मंगल सूत्र लटकाना
मांग
एक किलो सिंदूर से भरना
हाथ
में रंग-बिरंगा रस्सी नुमा धागा बांधना
नाक-कान
छेद कर उसमें बहुरंगी तार लटकाना
कमर
में कमर बंद
पैरों
में पायल
अंगुलियों
में बिछिया
और
अंगूठी पहनना
यह
स्त्री
देह को बांधने का परम्परागत षड़यंत्र है
या
उसका स्वतंत्र चुनाव
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12/03/2013/10:00
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ग़र
होता
सरकारी
पाहून
मैं
लोकमहल में होता
होता
सरकारी
पाहून
मैं
लोकमहल में होता
सोता
सोने के पलंग पर
राज्यवार कब्ज़ा करता
सोने के पलंग पर
राज्यवार कब्ज़ा करता
ठेका लेता
जंगल-जंगल
मंगल गाता
जन-जन
केला खूब उगता
जंगल-जंगल
मंगल गाता
जन-जन
केला खूब उगता
एक अधेला देता
पूरा खेत लेता
पूरा खेत लेता
लोकतंत्र
के लोकल ट्रेन से
लोक-लाज सब ढोता
के लोकल ट्रेन से
लोक-लाज सब ढोता
सरकारें सब पांव धोतीं
इतना पांव फैलता
इतना पांव फैलता
जो जमीन सरकारी होती
अपना झंडा फहराता
अपना झंडा फहराता
कोर्ट-कचहरी अपनी मुट्ठी में
नौकरशाही से घास छिलवाता
नौकरशाही से घास छिलवाता
राज सत्ता पर राज़ करता
सब कुछ पर्दा डालकर करता …
सब कुछ पर्दा डालकर करता …
नोट: यह हमारी कल्पित कल्पना है.इसका किसी जिंदा या मुर्दा आदमी के ख़्वाब से कोई सम्बन्ध नहीं है. 12/03/2013/11.40pm
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