Saturday 2 June 2012

बस इतना सा अंतर !


हमारी
झोपड़ियाँ जल रही थीं
हम तड़प रहे थे
हमारे बच्चे चिल्ला रहे थे
देखते-देखते हमारा सब कुछ जल कर खाक हो गया
हमारा घर,सपना,सहारा,सर्वहारा जीवन की पूंजी  
लेकिन
सुबह के अखबारों में हमारे तबाही की खबर न थी
उनके
कपड़ों में पड़ गए थे चिल्लर और बालों में जूं
वो
सुबह के अखबारों में छाये हुए थे
उनमें और हममें बस अंतर इतना था
वो सेलिब्रिटी थे हम झुग्गी-झोपड़ी वाले

रमेश यादव / 02/06//2012 /6.10 pm/ नई दिल्ली.

No comments: