Thursday 4 October 2012

आर्थिक सुधार के नाम पर साम्राज्यवादी लूट की खुली छूट




रमेश यादव
4 अक्टूबर,2012,नई दिल्ली.

आज केंद्रीय कैबिनेट ने बीमा क्षेत्र में विदेशी पूँजी निवेश को 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने के लिए मंजूरी दे दी.साथ में पेंशन के क्षेत्र में भी 49 फीसदी विदेशी पूँजी निवेश की स्वीकृति मिली है.

अब पेंशन के पैसे को सरकार स्टॉक मार्केट में लगायेगी या लगाने के लिए इज़ाज़त देगी.पैसे का जीवन बाज़ार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करेगा.हालाँकि उक्त बिल को अभी संसद में पेश किया जायेगा.

मौजूदा समय में सर्वाधिक रोजगार निजी क्षेत्र में है.इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग,जो भी बचत करते हैं,उन्हें पीपीएफ या बैंक बचत का सहयोग लेना पड़ता है.

माना जा रहा है कि बीमा और पेंशन संशोधन बिल पास होने के बाद इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कंपनियां आयेंगी.लोक लुभावन पूँजी लगाएंगी.प्रतिस्पर्धा बढ़ेगा.बचत के लिए लोगों को अधिक विकल्प मिलेगा.

अब तक की स्थिति देखें तो सरकार बीमा कंपनियों को जनहित में नियंत्रित करने में असफल रही है.सरकार कंपनियों के व्यावसायिक हित को पहले प्राथमिकता देती है.

चिंतनीय बिंदु एक : किंगफिशर एयर लाइन्स की एक महिला कर्मचारी ने आज ख़ुदकुशी कर ली,सुसाइड नोट में आरोप लगाई है कि कंपनी ने गत चार माह से वेतन नहीं दिया.आर्थिक संकट की वजह से उसे यह कदम उठानी पड़ी.इस तरह के मामलों में सरकार कोई सार्थक कदम नहीं उठाती है.यह सभी लोग जानते हैं.
   
दो : भारतीय निजी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वालों का भविष्य कितना सुरक्षित है.क्या उन्हें सभी श्रम कानूनों का लाभ मिलता है ? जवाब होगा नहीं.इन कंपनियों में 8 घंटे की जगह 12 -14 घंटे काम लिया जाता है.

तीन: निजी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी,कंपनियों के शोषण के खिलाफ आवाज़ तक नहीं उठा सकते.

चार: मारुती सुजुकी ने अभी हाल ही में रातोंरात लगभग 500 कर्मचारियों को निकाल बहार किया,अब तक सरकार ने क्या कदम उठाया ? उनके हितों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है ? उनका परिवार किस हालत में है,उनकी रोजी-रोटी कैसे चल रही.इसकी चिंता कौन करेगा...?यह तमाम सवाल ज्वाल सरीखे लौ दे रहे हैं.इनकी लपटें किन-किन लोगों तक पहुँच रही हैं.            

तर्क : कुछ समय के लिए मान भी लें की बीमा और पेंशन में विदेशी निवेश फायदेमंद होगा.सवाल उठता है कि इस देश में कितने लोग हैं, जो बीमा करते हैं और पेंशन के पात्र हैं.करीब 80 करोड़ लोग करीब 20 रुपये रोजाना पर जीवन यापन कर रहे हैं,उन्हें एफडीआई का क्या लाभ मिलेगा...?
   
मल्टीब्रांड खुदरा व्यापार में 51 प्रतिशत विदेशी पूँजी निवेश :  

अभी हाल ही में भारत सरकार ने मल्टीब्रांड खुदरा व्यापार में 51 प्रतिशत विदेशी पूँजी निवेश को मंजूरी दी है. इसके साथ ही नागरिक उड्डयन क्षेत्र में भी 49 फीसदी विदेशी पूँजी निवेश को स्वीकृति दी.

देशी चोरों को नियंत्रित करने की जगह सरकार ने अंतरराष्ट्रीय डकैतों को लूटने के लिए भारत का ५१ फीसदी दरवाजा खोल दिया है.
  
उपरोक्त तथ्यों से पता चलता है कि सरकार आम आदामी के लिए नहीं देशी-विदेश पूंजीपतियों /कंपनियों को फायदा पहुँचाने के लिए खतरनाक आर्थिक कदम उठा रही है.

यह सरकार साम्राज्यवादी लूट के लिए भारतीय बाज़ार को खोल रही है,जिसमें आम आदमी को बिकने और मरने के अलाव कोई और विकल्प नहीं होगा...



 

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