Wednesday 30 May 2012

इन्डियन काफी हॉउस: टूटते टेबल,छीजते विचार !

एक समय था जब इन्डियन काफी हॉउस के इन्हीं टेबलों पर लोग काफी की चुस्कियां लिए करते थे.
साहित्य-संस्कृति,देश-समाज पर चिंतन-मनन करते थे.
इन बहसबाज चिंतकों के विचार देश के कोने-कोने में जाते.अब समय बदल गया है.
वहीँ काफी हॉउस है.नाम वहीँ है.जगह वहीँ है.टेबल वहीँ है.कुछ लोग अब भी आते हैं,
लेकिन लगता है अब काफी और विचार दोनों टेबल के नीचे गिरते जा रहे हैं.
इन विचारों में अब टेबल से दूर जाने की क्षमता नहीं रही.
कम से कम यह टेबल तो यहीं गवाही दे रहा है...
पता नहीं यह किस क्षरण के श्रेणी में आएगा...
विस्तार से तो वहीँ लोग बताएँगे,जो काफी हॉउस को नजदीक से जानते हैं...



टेबल बना गवाह ...
टेबल बना गवाह

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