Monday 28 May 2012

'मैं' को 'हम' में बदल दो !

शब्द 
क्या हैं ? 
मेरे दुश्मन हैं 
आजकल 
मुझे 
सोने नहीं देते 
बेचैन किये रहते हैं 
मैं 
परेशां हूँ
शब्दों के आहट से 
उनके दस्तक से 
चिंतित हूँ शब्दों के समावेश से
अंकुरित होते शब्दों से
आकार लेते शब्दों से
कहाँ भागूं,कैसे भांगू
घिरा हूँ
मैं
शब्दों से
आगे से,पीछे से
अंदर से बाहर से
मन से,मस्तिष्क से
दिल से दिमाग से
चिल्लाता हूँ
मैं
करता हूँ पुकार
छोड़ दो
मुझे
करो
मेरा उद्धार,उपकार
मैं
'मैं' हूँ
हो सके तो
मुझे 'हम में बदल दो
नहीं भूलूँ'गा
तुम्हारा
अहसान ........

रमेश यादव / 26 मई,2012/9.36 पूर्वाहन. वाराणसी,सतीश के कमरे से.

4 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 03/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

कविता रावत said...

मैं और हम का बहुत बढ़िया चिंतन मनन कराती सुन्दर सार्थक रचना..

Anonymous said...

परेशां हूँ
शब्दों के आहट से
उनके दस्तक से
चिंतित हूँ शब्दों के समावेश से
अंकुरित होते शब्दों से
आकार लेते शब्दों से
कहाँ भागूं,कैसे भांगू

Beautiful !! ek anoothi kalpana bahut prabhavshali dhang se gadhi gayi hai...

yashoda Agrawal said...

शब्द
क्या हैं ?
मेरे दुश्मन हैं
आजकल
मुझे
सोने नहीं देते .....सुन्दर और सत्य भी